होली क्यों मनाई जाती है ? पूरी सच्चाई | कोई न बताया होगा | Holi Kyu Manaya Jata Hai In Hindi |

होली क्यों मनाई जाती है ?
होली क्यों मनाई जाती है ?

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में मैं आप सभी को होली त्यौहार की सच्चाई के बारे में बताने वाला हूं आप सभी को पता है की होली का त्यौहार हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक पवित्र त्योहार माना जाता है लेकिन मैं आपको आज बताऊंगा आखिर होली क्यों मनाई जाती है ? और इसी मनाने का कारण क्या है ?

दोस्तों क्योंकि होली का त्यौहार हिंदू धर्म द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है| होली का त्यौहार हर साल फरवरी या मार्च के महीने में मनाया जाने वाला त्यौहार है और मैं आपको बता दूं कि यह त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा की रात को मनाए जाने वाले रंग बिरंगी हुड़दंगी का त्यौहार है|

दोस्तों वैसे त्योहारों का तो वर्गीकरण नहीं करना चाहिए लेकिन मैं आपको बता दूं कि हिंदुओं का यह सबसे बड़ा त्यौहार है और तो और हिंदू धर्म की वर्ण व्यवस्था के अनुसार त्योहारों का भी वर्गीकरण किया गया है जोकि बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं है इसके अनुसार जिस प्रकार रक्षाबंधन का त्यौहार ब्राह्मणों का त्योहार माना जाता है, दशहरा का त्यौहार क्षत्रियों का त्यौहार माना जाता है, दीपावली का त्योहर वैश्यों का त्योहार माना जाता है और जो होली का त्यौहार होता है वह शूद्रों का त्यौहार माना जाता है इसलिए इसको बनाने का ढंग कुछ अलग होता है|

लेकिन आज मैं आपको होली की सच्चाई जिसे लोगों ने आपसे छिपा कर रखा है तो चलिए शुरू करते हैं –

लोगो का अंधविश्वास  :

कई लोगों द्वारा बताया जाता है की होली क्यों मनाई जाती है की एक महाराजा था राजा हिरण्यकश्यप और उसका एक पुत्र था प्रहलाद नाम का, उसका जो पुत्र था वह ईश्वर का नाम लिया करता था और महाराज हिरणाकश्यप को ईश्वर से जलन होती थी इसीलिए महाराज हिरण्यकश्यप उसे मारना चाहता था| कई बार मारने का प्रयास भी किया लेकिन वह असफल रहा और उसे मारने के लिए महाराज हिरणाकश्यप की बहन होलिका ने एक प्लान बनाया और एक दिन प्रहलाद को लेकर अग्नि कुड में बैठ गई क्योंकि कहा जाता था कि होलिका को वरदान मिला था कि वह आग से नहीं जल सकती है इसीलिए वह प्रहलाद को लेकर एक अग्निकुंड में बैठ गई जिससे होलीका तो जल गई लेकिन प्रह्लाद बचकर निकल गया और उसकी जान बच गई|और इसीलिए होली मनाई जाती है|

लेकिन दोस्तों यह रियलिटी नहीं है होली क्यों मनाई जाती है ? Holi kyu manate hai ? हिरणाकश्यप कौन था ? होलिका कौन थी ? और प्रहलाद कौन था ? यह सब बातें आपसे छिपाई गई है लेकिन आज इन सब छिपे हुए रहस्यों के बारे में मैं आपको सब सच सच बताने वाला हूं, इसलिए इस आर्टिकल को पूरा ध्यान से पढ़िए इससे आपको भी समझ में आ जाएगा कि आखिर Holi Kyu Manaya jata hai ? 

होली क्यों मनाई जाती है ? (सच्चाई )

दोस्तों वास्तविकता यह है कि प्राचीन काल में एक कश्यप नाम के एक प्राचीन राजा रहते थे जिन के 2 पुत्र थे एक का नाम था हिरण्याक्ष और दूसरे का नाम था हिरणाकश्यप| अब क्योंकि हिरण्याक्ष बड़े भाई थे इसीलिए उन्हें सबसे पहले राजगद्दी में बैठने का मौका मिला |

दोस्तों उस समय आर्यों का कब्जा बढ़ता जा रहा था और आर्यों ने महाराज हिरण्याक्ष के राज्य कि कुछ भूमि पर कब्जा कर रखा था लेकिन राजा हिरण्याक्ष ने आर्यों पर आक्रमण करके उस भूमि को जीत लिया था|(एक बात पर कुछ लोगों का कहना है की महाराजा हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को चुराकर गंदे नाले के पास रख दिया था) जोकि बिल्कुल भी असत्य है,

महाराजा हिरण्याक्ष के द्वारा आर्यों से जमीन जीत लेने के बाद आर्यों में खलबली मच गई और आर्यों ने महाराजा हिरण्याक्ष को मारने की साजिश बनाई और साजिश बनाकर उनका वध कर दिया गया (और इस पर लोगों को कहना है की विष्णु ने व्रह का अवतार लेकर महाराजा हिरण्याक्ष को मार दिया था, जो कि बिल्कुल ही असत्य है)

महाराजा हिरण्याक्ष की मरने के बाद राजा हिरण्यकश्यप महाराजा की गद्दी पर बैठते है और राजा बनने के साथ ही वह पूरे अपने राज्य में ऐलान करता है की हमारे राज्य में विष्णु और ईश्वर का कोई नाम नहीं लेगा| जो यज्ञ करता है, जो बलि करता है उसे हमारे राज्य में नहीं रखा जाएगा|

दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं कि जो आर्य थे वह यज्ञ करते थे, पशुओं की बलि देते थे जिसे की महाराजा हिरण्यकश्यप ने अपने राज्य में यह सब बंद करवा दिया| जिससे जो आर्य थे वह हिरणाकश्यप पर क्रोधित हो उठे और महाराजा हिरण्याक्ष की तरह ही महाराजा हिरण्यकश्यप को भी मारने का प्लान बनाया|

और दोस्तों जैसा कि आप सभी जानते हैं की महाराजा हिरण्यकश्यप के 1 पुत्र थे जिसका नाम था प्रहलाद| अब क्योंकि महाराजा हिरण्यकश्यप ने अपने राज्य में विष्णु का नाम लेने और ईश्वर का नाम लेने पर प्रतिबंध लगा दिया था इसलिए विष्णु ने क्रोधित होकर नारद की सहायता से प्रहलाद को अपने वश में करने का प्लान बनाने लगा और उससे तरह तरह की ऊल जुलूल बातें करने लगा जिससे प्रहलाद उसके बहकावे में आ गया|

और वह प्रहलाद अपने ही राज्य में विष्णु का नाम लेने लगा विष्णु का गुणगान करने लगा जिससे उसके पिता महाराजा हिरण्यकश्यप को बहुत कष्ट हुआ, उन्होंने उसे समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन वह समझने की कोशिश ही नहीं कर रहा था और नतीजा यह निकला कि महाराजा का लड़का ही गद्दार निकला और वह उनके द्वारा बताए गए गलत रास्ते पर चलने लगा जिससे कि शराब पीना, जुआ खेलना और गलत लोगों की संगत में पड़ जाना यह सब उसकी आदत बन चुकी थी |महाराजा हिरण्यकश्यप ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की, उसी तरह तरह के दंड भी दिए गए लेकिन वह नहीं समझा|

दोस्तों होलिका महाराजा हिरणकश्यप की बहन लगती थी और प्रहलाद की बुआ|जैसे ही होलिका को पता चला की महाराजा हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को घर से बाहर निकाल दिया है तो वह रोज खाना लेकर प्रहलाद के पास चुपके चुपके खाना खिलाने निकल जाती थी और खाना खिलाने के बाद चुपचाप वापस लौटा आती थी|

दोस्तों फागुन महीने में होलिका का विवाह तय हो चुका था और फागुन महीने की पूर्णिमा की रात के दूसरे दिन ही होलिका की बारात आनी थी| उस दिन होलिका ने व्रत रखा था इसीलिए वह नहा धोकर उसने सफेद वस्त्र पहने हुए थे, उस रात भी वह हमेशा की तरह रात को खाना देने गई| चांदनी की दूधिया में प्रकाश में स्वेत वस्त्रों में सजी होलिका किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी|शायद वह प्रहलाद को आखरी बार भोजन देने गई थी क्योंकि उसके बाद उसका अपने ससुराल जाना निश्चित था|

जब होलीका अपने भतीजे प्रहलाद को खाना देने उसके पास पहुंची तो सजी धजी होलिका को देख उसके पास बैठे प्रहलाद के दोस्तो की नीयत खराब हो गई और प्रहलाद तो नशे में इतना दूध था कि वह खुद की हिफाजत भी नहीं कर सकता था और नतीजा यह निकला की उसके सभी दोस्तो ने मिलकर उसकी बुआ होलिका के साथ जो किया होगा वह आप सभी आसानी से समझ सकते हैं इसको बताने की जरूरत नहीं है दोस्तो|

और कुकर्म करने के बाद उन्होंने होलिका को जान से मार डाला| मारने के साथ साथ ही उन्होंने होलिका को उसी रात जला डालने का निर्णय लिया लेकिन जलाने के लिए तो उनके पास लकड़ी कंडा कुछ था नहीं इसीलिए पास के गांव से उन्होंने किसी की लकड़ी, किसी का छप्पर, किसी का घर का सामान लेकर होलिका को जलाकर फूक दिया और पूरी रात जलकर होलिका राख हो गई|

अगली सुबह जब महाराजा हिरणाकश्यप को यह सब पता चला तो क्रोध में उन्होंने सभी अपराधियों को पकड़वा लिया और क्योंकि अपराधियों के साथ उन्होंने अपना बेटा प्रहलाद भी शामिल हुआ पाया तो उन्होंने स्वयं से निर्णय लेने की बजाय इस मामले में शामिल अपराधियों को सजा देने का निर्णय न्याय पंचायत को सौंप दिया|

न्यायपंचायत ने कहा की इतने लोगो ने मिलकर एक लड़की का, वो भी राजा की बहन के साथ कुकर्म करके न केवल उसकी हत्या की बल्कि उसकी आबरू को भी नही बक्षा|यह सामाजिक मर्यादा का सबसे बड़ा अपमान है, यह नारी का सबसे बड़ा अपमान है और इसीलिए पूरी पंचायत ने मिलकर निर्णय लिया की भरी सभा में उन सभी अपराधियों के माथे में तलवार की नोक से “अवीर” लिखा जाए| इससे तलवार की नोक से उन सभी अपराधियों के माथे पर अवीर लिखा गया|

अवीर का मतलब होता है – कायर

और बाद में हिरनकश्यप की मृत्यु के बाद इस सजा का रूप छोटा होता गया और समय के साथ साथ लोगो  ने अपराधियों के माथे पर तलवार की नोक से अवीर शब्द न लिखकर के खून के रंग का ही रंग लगाने लगे , लेकिन रंग के साथ साथ यह शब्द भी तो उतना ही अपमानित करता है दोस्तों जितना की माथे में रंग लगाना | और समय के साथ साथ यह प्रथा चलती गयी और इसीलिए लोगो द्वारा एक दुसरे को होली में अवीर लगाते हैं |

निष्कर्ष :

इस प्रकार से दोस्तों मैंने आज इस आर्टिकल में आप सभी को बताया की होली क्यों मनाते हैं ? Holi kyu Manaya Jata hai in hindi ? होलिका कौन थी ? हिरनकश्यप कौन था ? और प्रहलाद कौन था ? दोस्तों अब मै यह आप पर छोड़ता हु की आप हम सभी को होली मनाना चाहिए या नहीं मनाना चाहिए , होली के त्यौहार में जो भी सच्चाई थी वह सभी मैंने इस आर्टिकल में कवर करने की कोशिश की, अब फैसला आपके हाथ में है …..धन्यवाद !

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